jawcod.bekall.edu.pl

Subhash chandra bose ki jivani in hindi

सुभाष चंद्र बोस (अंग्रेजी: Subhash Chandra Bose;जन्म: 7 मई , मृत्यु: 18 अगस्त ) एक भारतीय राष्ट्रवादी, मशहूर राजनेता, विचारक और सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी। भारत की आजादी में इनका अतुलनीय योगदान था। इन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कठिन प्रयत्न किये। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन्होंने &#;भारतीय राष्ट्रीय सेना&#; (INA) की स्थापना की।

सुभाष चंद्र बोस को ’नेताजी’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। इनका प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा&#; है। ये युवाओं के लिए एक महान् प्रेरक शक्ति थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया &#;जय हिंद&#; का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है। उनके अदम्य साहस और उद्दंड देशभक्ति ने उन्हें एक राष्ट्रीय नायक बना दिया जिसके कारण उन्हें आज भी भारतीयों द्वारा गर्व के साथ याद किया जाता है।

सुभाष चन्द्र बोस का परिचय (Subhash Chandra Bose in Hindi)

नामसुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose)
उपनामनेताजी
जन्म23 जनवरी , कटक, ओडिशा (भारत)
पिताजानकीनाथ बोस
माताप्रभावती देवी
शिक्षाकला स्नातक (बीए)
स्कूलएक प्रोटेस्टेंट यूरोपीयन स्कूल रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल, कटक, ओडिशा (भारत)
कॉलेजप्रेसीडेंसी कॉलेज, स्कॉटिश चर्च कॉलेज, फिट्जविलियम कॉलेज
वैवाहिक स्थिति विवाहित (वर्ष में)
पत्नीएमिली शेंक्ली
बेटी अनीता बोस
नागरिकताभारतीय
धर्महिन्दू
पेशाराजनेता, सैन्य नेता, सिविल सेवा अधिकारी और स्वतंत्रता सेनानी
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ()
प्रसिद्ध नारेतुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद, दिल्ली चलो
राजनैतिक गुरूदेशबंधु चितरंजन दास
लम्बाई5 फीट 9 इंच
मृत्यु 18 अगस्त (जापानी समाचार एजेंसी के अनुसार), ताइवान
उम्र48 वर्ष

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था। वह चौदह भाई-बहनों में नौवें बच्चे थे। बोस ने कटक में अपने भाई-बहनों के साथ ’प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल’ से अपनी प्राइमरी की शिक्षा प्राप्त की। में इन्होंने &#;रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल&#; में प्रवेश लिया।

वेह एक मेधावी छात्र थे और अपनी कड़ी मेहनत से में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया और जहाँ उन्होंने थोड़े समय के लिए अध्ययन किया। उसके उपरांत उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से दर्शनशास्त्र में बी.ए.

पास किया।

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं और दर्शन ने उन्हें बहुत प्रभावित किया क्योंकि वे उनके कार्यों को बड़े शौक से पढ़ते थे।

यह भी पढ़ें &#; सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार

करियर (Career)

नेताजी के जीवन में एक घटना हुई। उन्होंने अपने एक प्रोफेसर को उनकी नस्लवादी टिप्पणियों के लिए पीटा दिया। उसके बाद अंग्रेज सरकार की निगाहों में वे एक विद्रोही-भारतीय के रूप में बदनाम हो गए। जिस कारण उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया। इसी वजह से उनके मन में विद्रोही की भावना प्रबल हो गयी।

उसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में स्कॉटिश चर्च कॉलेज में प्रवेश लिया और में दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातक किया।

उन्होंने अपने पिता जानकी नाथ बोस से वादा किया था कि वह भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा देंगे। तब उनके पिता ने उनके लिए 10, रुपये आरक्षित किये। तब वह में अपने भाई सतीश के साथ लंदन गये,  वहाँ उन्होंने परीक्षा की तैयारी की। अपने कड़ी मेहनत से उन्होंने आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसमें उनको अंग्रेजी में सर्वोच्च अंक के साथ ही चौथा स्थान हासिल हुआ। परन्तु वह खुश नहीं थे, क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें अब ब्रिटिश सरकार के अधीन काम करना होगा। 

उनकी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने की बहुत इच्छा थी। साथ ही जलियावाला बाग हत्याकाण्ड की कुख्यात घटना के बाद उनका अंग्रेजों की सेवा करने से मन उचट गया था। अंततः अप्रैल में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गुस्सा और प्रतिरोध दिखाने के लिए उन्होंने ’प्रतिष्ठित भारतीय सिविल सेवा’ से इस्तीफा दे दिया और दिसंबर में भारत वापस आ गए।

सुभाष चंद्र बोस का वैवाहिक जीवन (Marital life fanatic Subhash Chandra Bose)

सुभाष चंद्र बोस साल में जर्मनी में ऑस्ट्रियाई पशु चिकित्सक की बेटी &#;एमिली शेंकल&#; से मिले। वे एमिली से अपने मित्र डाॅ.

माथुर (वियना में रहने वाले एक भारतीय चिकित्सक) के माध्यम से मिले थे। फिर इसके बाद बोस ने उन्हें अपनी पुस्तक टाइप करने के लिए नियुक्त किया।

जल्द ही, उन दोनो को एक दूसरे से प्यार हो गया और साल में उन दोनो ने शादी कर ली। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम अनिता बोस था।

सुभाष चन्द्र बोस का इतिहास (Subhash Chandra Bose History)

सुभाष चंद्र बोस जब भारत लौटे, तब वह महात्मा गांधी के प्रभाव में आ गये और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। गांधीजी के निर्देशन पर ही उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के अधीन काम करना आरंभ कर दिया, जिन्हें बाद में उन्होंने अपना राजनीतिक गुरु भी स्वीकार किया।

नेताजी में ’अखिल भारतीय युवा कांग्रेस’ के अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस के सचिव भी चुने गए। वह चितरंजन दास द्वारा स्थापित समाचार पत्र ’फॉरवर्ड’ के संपादक भी थे।

में जब चितरंजन दास कलकत्ता के मेयर थे तब उन्होंने कलकत्ता नगर निगम के सीईओ के रूप में भी काम किया। में उनको गिरफ्तार किया गया और मांडले के जेल भेज दिया गया, जहां उन्हें तपेदिक हो गया। वे ई.

Sambasiva rao kommuri account of rory

में जेल से रिहा हुए और बाद में कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने। 

में भारतीय कांग्रेस द्वारा नियुक्त ’मोतीलाल नेहरू समिति’ ने वर्चस्व की स्थिति के पक्ष में घोषित किया, सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया। क्योंकि उनका मानना था कि केवल पूर्ण स्वतंत्रता ही प्रदान की जाने चाहिए। बोस ने इंडिपेंडेंस लीग के गठन की भी घोषणा की।

सविनय अवज्ञा आंदोलन () के दौरान सुभाष चंद्र बोस को जेल हो गयी। बाद में वे कलकत्ता के मेयर बने। गांधी-इरविन समझौते () पर हस्ताक्षर करने के बाद बोस को रिहा कर दिया गया। उन्होंने गांधी-इरविन समझौते और सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन का विरोध किया, खासकर जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

इसके बाद उन्होंने यूरोप की यात्रा की, भारत और यूरोप के बीच राजनीतिक-सांस्कृतिक संपर्कों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न यूरोपीय राजधानियों में केंद्रों की स्थापना की। में वे भारत लौट आए और कांग्रेस के आम चुनाव जीतने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक जीवन (Political life of Subhash Chandra Bose)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ना

सुभाष चंद्र बोस ने प्रारंभ में कोलकाता में कांग्रेस के सक्रिय सदस्य चितरंजन दास के नेतृत्व में काम की शुरूआत की। उन्होंने चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु भी माना था।

राष्ट्रीय कांग्रेस के के ’हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन’ (गुजरात) के दौरान सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने उसी वर्ष अक्टूबर में एक ’राष्ट्रीय योजना समिति’ की योजना बनाने और स्थापित करने की बात कही।

नेताजी ने &#;स्वराज&#; अखबार शुरू किया तथा ’फॉरवर्ड’ अखबार का संपादन किया। उन्होंने चितरंजन दास के कार्यकाल में कलकत्ता नगर निगम के सीईओ के रूप में भी काम किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने कलकत्ता के युवाओं, मजदूरों और छात्रों को जागरूक करने का कार्य भी किया। 

वह भारत को एक संघीय, स्वतंत्र एवं गणतंत्र राष्ट्र को बनाना चाहते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने युवाओं को बहुत प्रेरित किया था, वह युवाओं के लिए महान प्रेरणास्रोत थे। अपनी राष्ट्रवादी गतिविधियों के लिए उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पङा।

कांग्रेस से इस्तीफा

कांग्रेस के गुवाहाटी अधिवेशन () के समय कांग्रेस के पुराने और नए सदस्यों के बीच मतभेद हो गया। एक तरफ युवा नेता तो पूर्ण स्वशासन और बिना किसी समझौते के देश की स्वतंत्रता चाहते थे, वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता ब्रिटिश शासन के अन्दर भारत के लिए प्रभुत्व की स्थिति के समर्थन में थे।

इसी वजह से सुभाष चंद्र बोस और उदारवादी महात्मा गांधी के मध्य मतभेद बहुत अधिक बढ़ गया। इसी कारण साल में नेताजी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और यूपी के उन्नाव में कांग्रेस के भीतर वामपंथी पार्टी ’फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया।

जब INC ने ’व्यक्तिगत सत्याग्रह’ () का आयोजन किया, तब सुभाष चंद्र बोस ने बिहार के रामगढ़ में ’समझौता-विरोधी सम्मेलन’ का आयोजन किया।

जेल में कैद

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब कांग्रेस ने अंग्रेजों का समर्थन करने का फैसला लिया तो उन्होंने इसका विरोध किया। वह एक जन आंदोलन शुरू करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने भारतीयों से उनकी पूर्ण भागीदारी के लिए आह्वान किया। इसमें उन्होंने अपना सबसे लोकप्रिय नारा &#;तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा&#; दिया।

इससे जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और बोस को अंग्रेजों ने शीघ्र ही कैद कर लिया। जेल में जाने के बाद उन्होंने वहाँ भूख हड़ताल की घोषणा कर दी, तब उनका स्वास्थ्य खराब होने लग गया, तो अधिकारियों ने उन्हें जेल से रिहा कर दिया और अपने घर में ही नजरबन्द करने का आदेश दिया।

इंडियन नेशनल आर्मी (आजाद हिंद फौज) की स्थापना

सुभाष चंद्र बोस की सिंगापुर में रासबिहारी बोस से मुलाकात हुई। रासबिहारी बोस दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व एवं संचालन कर रहे थे। उन्होंने इसका नेतृत्व नेताजी को सौंप दिया। सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय सैनिकों को संगठित करके &#;आजाद हिंद फौज&#; का गठन किया।

इसके साथ ही अस्थाई भारत सरकार की स्थापना की, जिसको &#;आजाद हिंद सरकार&#; का नाम दिया गया। वे सेना और सरकार दोनों के ही अध्यक्ष बने। उन्होंने जापान से संबंध स्थापित करके अपनी सेना के लिए आवश्यक युद्ध के अस्त्रों की व्यवस्था की और आजाद हिंद सेना ने अपना विजय अभियान प्रारंभ किया।

सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में दिसंबर में आजाद हिंद फौज ने ब्रिटिश सेना को हराया और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को आजाद करा लिया। इन द्वीपों को नया नाम दिया और इन्हें शहीद और स्वराज द्वीप घोषित किया। आजाद हिंदी फौज का मुख्यालय जनवरी में सिंगापुर से रंगून लाया गया।

आजाद हिंद फौज का भारत आगमन

आजाद हिंद फौज ने चलो दिल्ली के नारे के साथ निरंतर मातृभूमि की ओर जाती रही और बर्मा की सीमा पार करके 18 मार्च को भारत आयी।

जैसे ही सैनिक अपने देश की मातृभूमि पर आये, वे बहुत खुश हुए। उन्होंने प्यार से अपनी भारत भूमि की मिट्टी को चुमा। आजाद हिंद फौज की कार्यवाही से ब्रिटिश सैनिकों में भगदड़ मच गई, जिससे बोस की सेना कोहिमा और इंफाल की ओर गयी। आजाद हिंद सेना ने जय हिंद और नेता जी जिंदाबाद के नारों के साथ स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। 

इस अभियान से यह विश्वास होने लग गया थोड़े ही दिनों में वह सेना भारत को स्वतंत्र करवायेगी। लेकिन उसी दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर परमाणु बम का विस्फोट करके प्रलय ला दी। जापान ने हार मानकर अपने हथियार डाल दिये। आजाद हिंद फौज को भी पीछे हटना पड़ा।

INA की एक अलग महिला इकाई थी, झाँसी रेजिमेंट की रानी (रानी लक्ष्मी बाई के नाम पर) जिसका नेतृत्व कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन कर रही थीं। इसे एशिया में अपनी तरह की पहली इकाई के रूप में देखा जाता है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नारे (Subhash Chandra Bose Slogan)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रसिद्ध नारे &#;

  • &#;तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा&#;,
  • &#;जय हिन्द&#;,
  • &#;दिल्ली चलो&#;,
  • &#;इत्तेफाक, एतमाद, कुर्बानी&#;

मृत्यु (Death)

में सुभाष चंद्र बोस की जापान यात्रा के दौरान उनका विमान ताईवान में क्रैश हो गया। परंतु उनकी बॉडी नहीं मिली, तो इस वजह से कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। भारत सरकार ने इस दुर्घटना के लिए एक ’जांच कमेटी’ बनाई, परंतु इस बात की पुष्टि आज तक नहीं हो सकी।

मई में ’शाह नवाज कमेटी’ ने नेताजी की मौत के रहस्य को उजागर करने के लिए जापान गई, लेकिन ताईवान में कोई खास राजनैतिक संबंध न होने के कारण उनकी सरकार ने उनकी सहायता नहीं की। 

में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला कि ’नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी और उनकी अस्थियाँ जो रेंकाजों मंदिर में रखी हुई है, वो भी उनकी नहीं है। परंतु भारत सरकार ने इस पुष्टि को खारिज कर दिया, इसी वजह से आज भी इसकी जांच चल रही है और यह एक विवादास्पद रहस्य है।

यह माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त, को ताइपेह, ताइवान (फॉर्माेसा) में एक हवाई दुर्घटना के दौरान हुई।

यह भी पढ़ें &#; सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार

FAQs

सुभाष चंद्र बोस कौन थे?

सुभाष चंद्र बोस (जन्म: 7 मई , मृत्यु: 18 अगस्त ) एक भारतीय राष्ट्रवादी, मशहूर राजनेता, विचारक और सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी थी। उनके पिता जानकी नाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था। वह चौदह भाई-बहनों में नौवें बच्चे थे।
सुभाष चंद्र बोस ने कटक में अपने भाई-बहनों के साथ ’प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल’ से अपनी प्राइमरी की शिक्षा प्राप्त की। में इन्होंने ’रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल’ में प्रवेश लिया।

सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को क्या कहा था?

4 जून को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ’राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया।

सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक नेता कौन थे?

सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक नेता चितरंजन दास थे।

सुभाष चंद्र बोस ने भारत के लिए क्या किया?

सुभाष चन्द्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बङे नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया ’जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है।

नेताजी का पूरा नाम क्या है?

नेताजी का पूरा नाम सुभाष चंद्र बोस है।

आजाद हिंद फौज के संस्थापक कौन थे?

आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस थे।

सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध नारा क्या है?

सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध नारा ’’तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’’

Categories BiographyTags Subhash Chandra Bose, Subhash Chandra Bose Hindi, Subhash Chandra Bose in Hindi, सुभाष चन्द्र बोस, सुभाष चन्द्र बोस का जीवन परिचय, सुभाष चन्द्र बोस का जीवन परिचय (Subhash Chandra Bose in Hindi)

Copyright ©jawcod.bekall.edu.pl 2025